हम सभी ने अक्सर ये अनुभव किया है कि यदि किसी बात के लिये हम कोई समझौता कर लेते हैं तो वही और उसी तरह की बात के लिये हम अपने अंदर एक आदत विकसित कर लेते हैं या कहें कि हम उस तरह की बातों को आमंत्रित करते हैं अपनी ओर क्योंकि हमें उस बात से समझौता करने की आदत लग चुकी है। इस तरह हम दूसरे के द्वारा लगातार स्वयं को शोषण का शिकार बना रहे हैं जो कि हमारे आत्मसम्मान और हमारी अन्याय न सहने की शिक्षा के विरूद्ध है। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो समझौता नही करते वे सोचते हैं कि उनके वगैर दुनिया नही चलेगी और ये सोचते हैं कि उनका इस समाज में या कार्यस्थल पर कार्य सुचारू रूप से चलेगा। लेकिन हमें इस स्थिति में न रह कर यह सोच विकसित करनी होगी कि हमारे बिना दुनिया चल सकती है और चल भी रही है कई महान पुरूषों और राजा महाराजाओं के जाने के बाद भी लेकिन दुनिया के वगैर हमारा जीवन दुष्कर हो जायेगा। इसलिये हमें पूर्णरूप से सामंजस्य बनाते हुये अपना जीवन व्यापन करना है हमारी जो जिम्मेदारियाँ हैं उन्हें निर्वाह करते हुये लेकिन हर जगह एक से अधिक बार समझौता करना एक तरह से अन्याय को बढ़ाना और दुष्ट प्रवृत्ति को सम्मान और विकास के अवसर प्रदान करना है। यदि जल भी समझौता कर लें अपने बहाव या अपने निरंतर आगे बढऩे के विरूद्ध तो वह एक ही जगह रूक कर सडऩे लगता है और अपनी दूसरों की प्यास बुझाने के गुण को खोकर गंदे नाले का रूप धारण कर लेता है जिससे लोग किसी तरह का स्पर्श नही करना चाहते। इसे हम एक कहानी के माध्यम से समझने की कोशिश कर सकते हैं-
गुरुवार, 23 अगस्त 2012
मंगलवार, 21 अगस्त 2012
एक से एक मेहँदी डिजाईन देखें
एक से एक मेहँदी डिजाईन देखें
http://www.designsmag.com/2012/08/75-latest-mehndi-designs-collection/
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सोमवार, 20 अगस्त 2012
गहरे पानी पैठ
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शनिवार, 18 अगस्त 2012
आज का अर्जुन या एकलव्य
आज का अर्जुन या एकलव्य
Archery Legend Byron Ferguson @"Stan Lee's Super Human" TV show - History Channel
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गुरुवार, 9 अगस्त 2012
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